कवच भारतीय रेल के अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन द्वारा विकसित एक टक्कर-रोधी प्रणाली है, जिसका लक्ष्य है- "जीरो एक्सीडेंट"।
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कवच सिस्टम को इस प्रकार से डिजाइन किया गया है कि यह निर्धारित दूरी के अन्दर उसी ट्रैक पर आ रही दूसरी ट्रेन को नोटिस करके, स्वचालित रूप से ट्रेन को रोक देगा।
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यह तकनीक SIL4 (सेफ्टी इंटिग्रेटेड लेवल -4) जो कि हाइएस्ट सर्टिफिकेशन लेवल से प्रमाणित है, जिसका तात्पर्य 10,000 वर्षों में केवल एक गलती होने की संभावना है।
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इसके अनुसार यदि सिस्टम में मैनुअल त्रुटि या अनजाने में लाल सिग्नल पार करने जैसी कोई अन्य खराबी होती है, तो उस समय ट्रेन अपने आप रूक जाएगी।
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सरल भाषा में कवच एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन का सेट है, जो कि रेल इंजनों में, सिग्नल सिस्टम के अलावा पटरियों पर भी स्थापित होता है।
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स्वयं भारत के वर्तमान रेलमंत्री अश्वनी वैष्णव जी इस प्रणाली के काम करने का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त करने के लिए एक ट्रेन में सवार हुए। इसका ट्रायल सनथनगर-शंकरपल्ली खंड में हुआ।
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दक्षिण मध्य रेलवे की चल रही परियोजनाओं में अब तक कवच सिस्टम को 1,098 किमी से अधिक मार्ग और 65 लोको पर तैनात किया गया है।
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भविष्य में कवच सिस्टम को दिल्ली-हावड़ा और दिल्ली-मुम्बई कॉरिडोर पर लगभग 3,000 किमी की दूरी को कवर करने की योजना बनाई गई है।
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कवच का यात्री ट्रेनों पर पहला फील्ड ट्रायल फरवरी 2015 में और पहला कॉन्सेप्चुअल फील्ड ट्रायल अक्टूबर 2012 में हआ था। इसके बाद कवच को 160 किमी प्रति घंटे तक की गति के लिए मंजूरी दी गई थी।
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कवच को ट्रेन कॉलिजन अवॉयडेंस सिस्टम (TCAS) और स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ATP) प्रणाली के रूप में भी जाना जाता है।
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1) अचल TCAS (ट्रेन कॉलिजन अवॉयडेंस सिस्टम)2) लोको TCAS ऑनबोर्ड इक्विपमेंट3) ट्रैक पर RFID टैग4) स्टेशन टीसीएएस और लोको टीसीएएस के बीच यूएचएफ आधारित कम्यूनिकेशन
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कवच के मूल घटक
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